लेखनी प्रतियोगिता -03-Jul-2022फुलवारी
फुलवारी
जीवन है फुलवारी सा,
सुख दुख दोनों रहते हैं।
अंकुर इसमें अच्छे डालो,
सुंदर फूल ही खिलते हैं।
बच्चे होते आंगन की फुलवारी,
मात पिता के प्यार में पलते।
धीरे-धीरे बढ़ते जाते,
नन्हे बीज से वृक्ष बन जाते।
अटूट प्रेम के बंधन में बंध,
सब पर देखो प्यारे लुटाते।
खुशबूदार वृक्ष बन कर वह,
मात पिता को छांव है देते।
जैसे फुलवारी से खुशबू मिलती
स्वच्छ हवा प्राणों में भरती।
वैसे ही हंसी खुशी परिवार की,
जीवन की फुलवारी बनती।
खुशहाल गृहस्थ जो देखो,
प्यारा वह परिवार लगे।
फलती फूलती रहे फुलवारी,
उसको यह आशीष मिले।
संस्कार ऐसे तुम डालो,
महके उपवन जीवन यह।
सबको ममता बांटे अपनी,
फुलवारी से खुशबू महके।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
प्रतियोगिता हेतु
3.7.2022
Pallavi
05-Jul-2022 03:18 PM
बहुत खूबसूरत
Reply
Shrishti pandey
04-Jul-2022 09:43 PM
Nice
Reply
Punam verma
04-Jul-2022 08:01 AM
Very nice
Reply